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डॉ. रामदीन त्यागी

Abstract

जनजातीय संसà¥â€à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को समà¤à¤¨à¥‡ से पहले हमें यह जानना जरूरी है कि संसà¥â€à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ कà¥â€à¤¯à¤¾ है संसà¥â€à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का सीधा-साधा अरà¥à¤¥ है परिषà¥â€à¤•à¤¾à¤° या संसà¥â€à¤•à¤¾à¤°à¥¤ वसà¥â€à¤¤à¥à¤¤: परिमारà¥à¤œà¤¿à¤¤ संसà¥â€à¤•à¤¾à¤° ही संसà¥â€à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ है। इसके सà¥â€à¤µà¤°à¥‚प को सà¥â€à¤ªà¤·à¥â€à¤Ÿ करते हà¥à¤ डॉ. राम खेलावन पाणà¥â€à¤¡à¥‡à¤¯ कहते हैं कि संसà¥â€à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ शबà¥â€à¤¦ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— अपेकà¥à¤·à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ अरà¥à¤µà¤¾à¤šà¥€à¤¨ है और अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ कलà¥â€à¤šà¤° का समनारà¥à¤¥à¤¸à¥‚चक। इसकी मानà¥â€à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं में मतभेद और विरोध है। इसकी सीमाà¤à¤‚ à¤à¤• ओर धरà¥à¤® को सà¥â€à¤ªà¤°à¥à¤¶ करती हैं वहीं दूसरी ओर साहितà¥â€à¤¯ को अपने बहà¥à¤ªà¤¾à¤¶ में आबदà¥à¤§ करती हैं। यहां हम जनजातीय संसà¥â€à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की बात कर रहे हैं। आदिवासी शबà¥â€à¤¦ दो शबà¥â€à¤¦à¥‹à¤‚ आदि और वासी से मिलकर बना है इसका अरà¥à¤¥ मूल निवासी होता है भारत की जनसंखà¥â€à¤¯à¤¾ का 8.6 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ मूल निवासी यानि आदिवासी हैं जिनकी जनसंखà¥à¤¯à¤¾ 10 करोड़ के आसपास है। भारत में गोंड, मà¥à¤‚ड, खडिया, बोडो, भील, खासी, बैगा, सहरिया, भारिया, संथाल, मीणा, उरांव, परधान, बिरहोर, पारधी, आंध, टाकणकार आदि पà¥à¤°à¤®à¥à¤– वनवासी समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ हैं। भारतीय संविधान की पांचवी अनà¥à¤¸à¥‚ची में अनà¥à¤¸à¥‚चित जनजातियों को मानà¥à¤¯ ता दी गई है। भारत में 461 जनजातियां हैं, जिसमें से 424 जनजातीयां भारत के सात कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में बंटी हà¥à¤ˆ हैं।

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