शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों के संस्थागत वातावरण का प्रशिक्षणार्थियों के व्यक्तित्व के मध्य सहसम्बन्ध में अध्ययन

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डॉ। बी.एस. गुप्ता

Abstract

पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ में सरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ विधि को अपनाया गया है, जिसमें पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—राज जनपद के शहरी à¤à¤µà¤‚ गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के शिकà¥à¤·à¤• पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ à¤à¤µà¤‚ संसà¥à¤¥à¤¾à¤—त वातावरण के मधà¥à¤¯ सहसमà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया गया है। शिकà¥à¤·à¤£ संसà¥à¤¥à¤¾à¤à¤‚ किसी भी समाज की à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ इकाई होती हैं और इनका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कà¥à¤› विशिषà¥à¤Ÿ उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ की पूरà¥à¤¤à¤¿ के लिठकिया जाता है। यहाठपà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वरà¥à¤—, जाति, समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ के लोगों से सीधा व सहज सहसमà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ जà¥à¥œà¤¾à¤µ रहता है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यहाठलोगों में बौदà¥à¤§à¤¿à¤• विकास के साथ-साथ भावातà¥à¤®à¤• अभिवृदà¥à¤§à¤¿ तथा मानव मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का भी विकास किया जाता है। यदि ये संसà¥à¤¥à¤¾à¤à¤‚ किनà¥à¤¹à¥€à¤‚ कारणों से निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ में असफल रहती हैं तो पूरे समाज को सामाजिक कà¥à¤·à¤¤à¤¿ होती है। पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤• आà¤à¤•à¥œà¥‹à¤‚ के संकलन के लिठडॉ0 के0à¤à¤¸0 मिशà¥à¤°à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संरचित संसà¥à¤¥à¤¾à¤—त वातावरण पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¤¾à¤µà¤²à¥€ पà¥à¤°à¤ªà¤¤à¥à¤°, पà¥à¤°à¥‹0 à¤à¤¸0डी0 कपूर दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संरचित 16 पी.à¤à¤«. पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¤¾à¤µà¤²à¥€ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया गया है। शिकà¥à¤·à¤• पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ à¤à¤µà¤‚ संसà¥à¤¥à¤¾à¤—त वातावरण के मधà¥à¤¯ सारà¥à¤¥à¤• सहसमà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ नहीं है।’

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