द्वापर युग में पुनर्जन्म के प्रमाण-एक सत्य

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श्री लाल सिंह डॉ कविता पालावत

Abstract

जीवन और आतà¥à¤®à¤¾ के सफर के संबंध के विषय में हम बहà¥à¤¤ कà¥à¤› नहीं जानते। रौज-मरà¥à¤°à¤¾ के काम-काजों की यातà¥à¤°à¤¾ à¤à¤• बात है, जनà¥à¤® से मृतà¥à¤¯à¥ की यातà¥à¤°à¤¾ दूसरी बात है और à¤à¤• जनà¥à¤® से दूसरे जनà¥à¤® की यातà¥à¤°à¤¾,पहली दोनों यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं से पूरी तरह अलग है। आम तौर पर यह सवाल हर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के मन में आता है की कà¥à¤¯à¤¾ हमारा सफर इसी जीवन तक सीमित है या उससे भी आगे है। इनà¥à¤¹à¥€ बातों को जानने के लिठयह à¤à¤• पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ है। भारतीय इतिहास में à¤à¤¸à¥‡ बहà¥à¤¤ से पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ मिलते है जो इस बात की पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ करते हैं की जीवन और आतà¥à¤®à¤¾ का सफर कभी भी रà¥à¤•à¤¤à¤¾ नहीं है हालाà¤à¤•à¤¿ रà¥à¤•à¤¨à¥‡ के भी पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ है। रà¥à¤•à¤¨à¥‡ का मतलब है मोकà¥à¤·, ओर मोकà¥à¤· की यातà¥à¤°à¤¾ छोटी भी है ओर लंबी भी है, परंतॠहमारी सौध जीवन ओर आतà¥à¤®à¤¾ की यातà¥à¤°à¤¾ की है। इस सोध से à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के जीवन में ओर à¤à¤• समाज में कà¥à¤¯à¤¾ योगदान हो सकता है इसे जानने की खोज है। सही अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में जीवन और आतà¥à¤®à¤¾ की यातà¥à¤°à¤¾ के महतà¥à¤µ को समà¤à¤¨à¤¾, जीवन को ही समà¤à¤¨à¤¾ है।

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