मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यासों में प्रतिरोध का स्वर: चाक और झूलानट के संदर्भ में

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Dr. Liby Cherian

Abstract

जकडी हà¥à¤ˆ नारी अपनी जंजीरों को तोडकर आगे बढ़ने की ताकत पाना उसकी असà¥à¤®à¤¿à¤¤à¤¾ का पहचान है। असà¥à¤®à¤¿à¤¤à¤¾à¤¬à¥‹à¤§ से जानेवाली नारी की पहली बाधा परिवार की मानसिकता है जो वहाठजीत होकर चलती है तो समाज की नज़र उसपर पडी है। à¤à¤¸à¥‡ चलनेवाली विभिनà¥à¤¨ मायनों से आयी हà¥à¤ˆ नारियों की लंबी कतार मैतà¥à¤°à¥‡à¤¯à¥€ की रचनाओं में दृषà¥à¤Ÿà¤µà¥à¤¯ है। समसामयिक हिंदी महिला लेखिकाओं में मैतà¥à¤°à¥‡à¤¯à¥€ पà¥à¤·à¥à¤ªà¤¾ का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ मौलिक है। भोगे हà¥à¤ यथारà¥à¤¥ का सपाट बयान करनेवाले समकालीन सृजकों में मैतà¥à¤°à¥‡à¤¯à¥€ की रचनाà¤à¤ अपने अनà¥à¤­à¤µà¥‹à¤‚ से निसृत है। उनमें अभिवà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ ज़िनà¥à¤¦à¤—ी के विभिनà¥à¤¨ पहलà¥à¤à¤ य़थारà¥à¤¥ हैं बलà¥à¤•à¤¿ परंपरागत à¤à¤µà¤‚ रूढमूल विचारधारा के विरà¥à¤¦à¥à¤§ होते हैं ।

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